अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

       त्यौहारों का प्यार

 
नव सपनों की मुस्कान लिए
नये नये परिधान लिए
चैत्र माह बाँधे अपने में
त्यौहारों का प्यार

आया नव संवत जग -द्वार
लाया शुभता, मंगल अपार
पंथ खालसा जन्मा इस दिन
गुरु गोविंद यादें पल छिन
फसलें झूमी खलियानों में
पायल नाची घर आँगन
ढोल नगाड़े द्वार

चैत्र-शुक्ल-नवमी के शुभ दिन
जन्मे थे प्रभु राजा राम
बजे बधावे अवध धाम में
और सजा सुंदर दरबार
पावन है उस प्रभु का नाम
भव करवाते पार

सदियों से भारत की संस्कृति
बनी हुई है गौरवशाली
जिंदा रखनी हमें धरोहर
और प्रेम की अमृत प्याली
नयी नस्ल को सौंपेगे हम
सारे तीज-त्यौहार

- डॉ मंजु गुप्ता
१ अप्रैल २०२१

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter