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        माँ हमें वर दो

 
माँ, हमारे चित्त से सब
आसुरी माया हरो

दीप श्रद्धा के धरे हमने
सतत नवरात्र में
फूल, फल, नैवेद्य, रोली
ला रहे धर पात्र में

शीश पर आशीष की निज
माँ! सतत छाया करो

माँ!
हमें वर दो कि यह मन
निष्कलुष, निष्पाप हो

ज़िंदगी जब तक रहे यह
बस तुम्हारा जाप हो

माँ, हमारे द्वार आकर
शुभ चरण अपने धरो

निष्फला जाती नहीं है
शक्ति की आराधना
धन्य जीवन को बनाने
नित करें हम साधना

माँ!
लुटा दो नेह सारा
झोलियाँ सब की भरो

शक्ति से आशीष पाकर
शक्ति को ललकारता
वृत्ति से भस्मासुरी निज
नित रहा हुंकारता

वृत्तियों ओ
कुटिल मन की!
पाप करने से डरो

- मनोज जैन
१ अप्रैल २०२१

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