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जब चैत महीना आता है

 
जब चैत महीना आता है
त्यौहार अनूठे लाता है
हर दिन होते हैं नव उत्सव,
मन खुशियों से भर जाता है

मौसम बासन्ती बीत चला
घट शीत ऋतु का रीत चला
बदला परिधान हवाओं ने
सूरज बादल से जीत चला

खेतों में फसलें मुस्काएँ
मौसम उल्लास मनाता है

नव संवत्सर शुभ हर्ष रहे
जीवन में नित उत्कर्ष रहे
माँ दुर्गा के शुभ पूजन से
मन भीतर नहीं अमर्ष रहे

नौ दिन पूजन अर्चन हमको
संकल्प साध्य सिखलाता है

यहाँ राम जन्म के मेले हैं
और त्यौहारों के रेले हैं
गणगौर कहीं गौरा प्यारी
कहीं बैशाखी के खेले हैं

हनुमान जयंती का अवसर
यह भारत वर्ष मनाता है

- रमा प्रवीर वर्मा
१ अप्रैल २०२१

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