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चार मुक्तक
जनतंत्र की सोच को समर्पित कविताओं का संकलन
    एक

न रखना आँसुओं का बोझ मन पर मातरम् वन्दे
वतन के लाल मरते हैं वतन पर मातरम् वन्दे
वतन पर जान जाए तो ये जीवन धन्य हो जाए
ये ख़्वाहिश है कोई लिख दे क़फ़न पर मातरम् वन्दे

-श्रवण राही

दो

अगर दुश्मन करे आग़ाज़, हम अंजाम लिख देंगे
लहू के रंग से इतिहास में संग्राम लिख देंगे
हमारी ज़िंदगी पर तो वतन का नाम लिखा है
अब अपनी मौत भी अपने वतन के नाम लिख देंगे

-चिराग जैन


तीन

देश का हाल मत पूछो।
कोई सवाल मत पूछो।।
तुम बहता लहू देखकर।
कौन बेहाल मत पूछो।।

-रामेश्वर कांबोज हिमांशु


चार

भले होली, दिवाली, तीज की खुशियां मनाना तुम
भले ही कामयाबी के नये सपने सजाना तुम
अगर जो चाहते हो वो गुलामी फिर से ना आये
मिटे जो देश की खातिर उन्हें मत भूल जाना तुम

-राजेन्द्र सोलंकी
२४ जनवरी २०११

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