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        गर्मियाँ आ गईं

 

लू ने ढाया सितम गर्मियाँ आ गई
अब निकालेंगी दम गर्मियाँ आ गई

दूर मंज़िल बहुत ढूँढो कोई शज़र
हो न पानी वहम गर्मियाँ आ गई

छाछ सत्तू की चाहत बहुत थी मगर
पीते काढ़ा गरम गर्मियाँ आ गई

जेठ की धूप बाहर करोना भी है
घर से निकलो जी कम गर्मियाँ आ गई

ज़िंदगी फिर वबा को हरा देगी 'रीत'
जीत होगी परम गर्मियाँ आ गई

- परमजीत कौर 'रीत' 
१ मई २०२१

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