अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

आग बबूला सूर्य

 

आया गर्मी को लिए, आग बबूला सूर्य
सर्दी को गायब करे, बना विजय का तूर्य

गर्मी का मौसम बहुत, देता दुख की आग
जंगल के जंगल जले, जीव प्राण दें त्याग

गर्मी का सूरज करे, अपनी सीमा पार
लाता अपने संग है, बीमारियाँ हजार

गरम हवा जब-जब चली, झुलसे जीव-जहान
सूरज लगाय आग है, ग्रीष्म बने हैवान

गर्मी ज्यादा जब पड़े, जन होय परेशान
सूखा, अकाल हैं खड़े, खेती बनी श्मशान

लू की सेना को लिए, सूर्य करे बेहाल
शोले दागे आग के, चक्रवात -सा काल

आयी सत्ता सूर्य की, बनी ग्रीष्म सरकार
आँधी, लूएँ हैं बनीं, इसकी साझीदार

जेठ माह की है बड़ी, महिमा अपरम्पार
अमराई में है पके, आमों का संसार

- मंजु गुप्ता

१ मई २०२१

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter