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        गुलमोहर में आग

 


सूरज भी चटका रहा गुलमोहर में आग
भवरों को होने लगा फूलों से अनुराग

हवा मनचली आ गई गुलमोहर के पास
महके सुर्ख गुलाब भी दहके फूल पलाश

आया सूरज जेठ में लेकर भीषण ताप
धरती से पानी उड़ा नभ में बन के भाप

जंगल कटते ही रहे सूख गए तालाब
बंजर होते खेत में ठूँठ खड़े बेआब

सूख रही जल की नहर सिमट रहें हैं गॉँव
कंकरीट के शहर में गड़े मानवी पॉँव

- शशि पुरवार
१ मई २०२१

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