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        गरमी आई

 

गरमी आई गरमी आई
पेड़ों की छाया मन भायी
पंखे कूलर एसी मटके
लस्सी कुल्फी अरु ठंडाई

आसमान से आग बरसती
दोपहर में धरती है जलती
बनता सूर्य आग का गोला
गरम गरम है धूप निकलती

झुलस रही है क्यारी-क्यारी
बरस रही है ज्वाला भारी
बिन पानी ज्यों मछली तड़पे
तड़प रहे हैं सब नर नारी

नदी सरोवर ताल तलैया
कुआँ बावली सूखे भैया
प्यासे मरते हैं पक्षी सब
तोता मैना अरु गोरैया

- श्याम मोहन नामदेव 'श्याम' 
१ मई २०२१

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