QaUp ko paMva

 

gamaI- baZ,nao lagaI hO  

]Yaa caaOQarI  

 

 

gamaI- baZ,nao lagaI hO
baMd kmaro maoM pdo- pD,o hOM 
pMKo cala rho hOM
kUlar cala rho hOM
baahr¸ saD,k ka fOlaa huAa Saaor 
iksaI kaonao maoM isamaTa saa
kBaI kBaI AMdr Aa jaata hO 
gama- pCuAa hvaaeM ja,aor sao 
drvaaja,aoM kao BaD,BaD,atI hOM
K,sa kI mahk maoM BaIgaa mana 
kaMp saa jaata hO.
kalpinak saI }ba kao 
imaTanao ko ilayao
ja,ra saI iKD,kI Kaola kr doKa—
naIma ko poD, ko naIcao
dubalaa ptlaa 
AabanaUsaI rMga vaalaa baccaa
tptI QartI maoM
naMgaa pD,a rao rha hO.
AaOr 
maaM baap AaOraoM kao
garmaI sao bacaanao ko ilayao 
K,sa ko pdo- gaUMqa rho hOM.

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter