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अमृत तेरा नीर है

 

 
॥ दोहा ॥
अमृत तेरा नीर है, स्वर्गलोक का द्वार
माँ गंगा आशीष दे, भवसागर हो पार॥


॥ हरिगीतिका ॥

गंगा दशहरा पर्व पावन भक्ति का, विश्वास का
श्रद्धा, समर्पण, प्रेम, निश्छल स्नेहमय उल्लास का
इस दिन हुईं अवतरित गंगा माँ धरा पर स्वर्ग से
जग को कराने मुक्त तम औ' पाप के संसर्ग से॥

हम पूजते हैं आज उनको शुद्ध अंतर, भाव से
है पुण्यदायी निर्धनों को दान दें सदभाव से
दस पाप हर लेता दिवस ये, शुभ बड़े संयोग हैं
अभिषेक शिव भगवान का कर धन्य होते लोग हैं॥

रख व्रत करें पूजन सभी प्रभु विष्णु जी का भक्ति से
एकादशी की सुन कथा गुण लें अलौकिक शक्ति से
कर दान जल का घट खुशी से, आप भी जल पीजिए
ले नाम प्रभु का चित्त से, व्रत आप पूरा कीजिए॥

॥ दोहा ॥
माँ गंगा ममतामयी, जीवन का आधार
हर हर गंगे बोलिए, होगा बेड़ा पार॥

-कुमार गौरव अजीतेन्दु
१७ जून २०१३

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