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नदी अद्भुत है

 

 
इस नदी को कोई कुछ भी कहे,
नदी अद्भुत है।

हाँ, नदी के संग जो रहते,
वही इसको जानते हैं।
आदमी की राख को भी तारती यह,
मानते हैं।

कल इसी के घाट पर सूरज रहे,
नदी अद्भुत है।

नदी का इतिहास है यह,
सब सगे इसके।
और इसके आचमन से अमृत होते,
घूँट भी विष के।

यह सदाशिव की जटाओं में बहे,
नदी अद्भुत है।

नदी जननी है
सनातन सभी धर्मों की।
यही तो है कोख पावन
भीष्म कर्मों की।

पाप के सब दाह इसने हैं सहे,
नदी अद्भुत है।
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- कुमार रवीन्द्र
१७ जून २०१३

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