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पावनी गंगा

 


 
इस पावनी गंगा का तुम,
आचमन कर लो

जिसकी लहरें लिखती हैं
वेदों की ऋचाएँ
आरती में गूँजती
रामायण की कथाएँ
तुम संस्कृति बुन के कोई
गीत सृजन कर लो
इस पावनी गंगा का तुम
आचमन कर लो।

गंगोत्री निहारो
उसे ह्रदयंगम कर लो
गंग तीरे बैठकर
गंगा भजन सुन लो
मन से पवित्र भावना को
तुम नमन कर लो
इस पावनी गंगा का तुम
आचमन कर लो

सगर कथा औ ऋषि कपिल का
श्राप भी सुन लो
तुम भगीरथ की तपस्या
को श्रवण कर लो
सुमन सब खिलते रहें,
तुम यह चयन कर लो
इस पावनी गंगा का तुम
आचमन कर लो

शमन कर त्रुटियाँ
अमृत कलश भर लो
नाव में केवट की फिर से
तुम भ्रमण कर लो
शांतनु को भीष्म जैसे पुत्र देकर
अमर कर गयी जो
इस पावनी गंगा का तुम
आचमन कर लो

-मंजुल भटनागर
१७ जून २०१३

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