अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

गंगा की धारा

 


 
वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि
बह्मा–कमण्डल से उत्सर्जित
चरण-स्पर्श श्रीविष्णु के करती
विष्णुपदी धारा
देवसरिता की

प्रचण्ड भीषण हिमशीतल
गंगोत्री गोमुख है उद्‌गम-स्थल
शिव की जटाओं में नाचती
पावन पवित्र धारा
भागीरथी की

भगीरथ प्रयास को सराहती
उग्र वेग को सँभालती उतरती
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को धरा पर आती
पतितपावनी धारा
जाह्नवी की

पंचप्रयाग से मचलती बहती
शिवालिक की गोद में खेलती
हरिद्वार को सुपावन करती
पापनशिनी धारा
अलकनंदा की

तीर्थराज प्रयाग से गुजरती
शिवनगरी से दिशा बदलती
कृषि क्षेत्र मगध को पखारती
शांत सरल धारा
मंदाकिनी की

भीष्म की जननी है गंगा
सर्वरोगविनाशिनी है गंगा
माताओं की गोद भरी रखती
सौभाग्यदायिनी धारा
गंगामाता की

साठ सहस्र सगर पुत्रों को
मुनि-शाप से मुक्त कराने आई
पितृणों को मुक्ति देने वाली
मोक्षदायिनी धारा
पुण्यसलिला की

विषाक्त तत्वों को समेटती
मानव सृजित गंदगी बटोरती
नि:शब्द हाहाकार करती
कलिमलहरणी धारा
पद्मगंगा की

सुन्दरवन में सह-नदियों के संग
हिन्द महासागर में विलीन होती
अनन्त यात्रा को निकल जाती
कल्याणकारी धारा
गंगा सागर की

सौभाग्यशाली हैं हम
भारतवर्ष प्यारा देश है हमारा
यहाँ ज्ञान विज्ञान परमज्ञान है और है
गंगा की धारा

-ऋताशेखर मधु
१७ जून २०१३

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter