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तेरे बारे में गंगा

 

 
तेरे बारे में जब गंगा कभी हम बात करते हैं
तो हम तहज़ीब के कुछ कीमती मोती ही चुनते हैं

गुनाहों का कोई अहसास जब हद से गुज़रता है
तो आकर तेरी लहरों से ही हम फ़रियाद करते हैं

ज़माने की निगाहों में कोई भी कद हमारा हो
मगर माँ तुझसे मिलते हैं तो हम बच्चों से खिलते हैं

हमें अहसास जितना है हमें शर्मिन्दगी उतनी
तेरी पूजा भी करते हैं तुझे मैला भी करते हैं

वो संगम का नज़ारा तुम जहाँ नदियों से मिलती हो
वहाँ पानी नहीं खुशबू, दुआ और प्यार मिलते हैं

-सुवर्णा दीक्षित
१७ जून २०१३

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