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होली है

 

रंग की बरसात कर गया

करता नहीं था आज मुझसे बात कर गया
वो आके आज रंग की बरसात कर गया

बेताब था मिलने को जिसे खोजता था मैं
रंगों के बीच आके मुलाकात कर गया

बच के जो निकलता था मुझे देखकर वही
घर आके मुझसे चंद सवालात कर गया

हर मन को भा गया है ये त्योहार इस कदर
नफरत को पकड़ करके हवालात कर गया

उसने तो डाला रंग ज़रा सा ही बदन पर
रंगीन बहुत आज वो जज्बात कर गया

कृष्ण कुमार किशन
५ मार्च २०१२

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