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होली है

 

मची है ब्रज में होरी

मची है ब्रज में होरी आज

जमुना जल सों हौज भराए
केसर अतर गुलाब मिलाए
उत गुपियन नें लट्ठ उठाए
खूब सज्यौ है साज
मची है ब्रज में होरी आज

इत सों आए किसन मुरारी
हाथ लिएँ रंगन पिचकारी
उत भागीं वृषभानु दुलारी
रसिकन की सरताज
मची है ब्रज में होरी आज

ब्रज वौ ही त्यौहार वही है
पर काँ वैसी प्रीत रही है
सब नें यै ही बात कही है
डूबत 'लाज' जहाज
भली यै कैसी होरी आज

- नवीन चतुर्वेदी
५ मार्च २०१२

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