| 
                
            
              
                | 
                    
                      | 
                        होली है
                        
                       |  | 
						जमुना के 
						तीर रास |  
                      | 
						
						 |  
                                  | 
                                    
                                      |  | होली आई भोली राधिका पे रीझे 
					किशन जू बोले जमुना के तीर चल रास खेलने
 मुस्काई राधिका जू गुप-चुप सखियों से
 बोली कान्हा आ रहा है साथ चलो घेरने
 सारी पिचकारी भर रंग से पलाश के
 ताक-ताक मारो पड़ें धार सौ झेलने
 श्याम रंग पे अबीर लाल रंग सजे जैसे
 बिजली को बादलों के झुण्ड लगे ठेलने
 *
 
 आगे-आगे कान्हा चले पीछे बलदाऊ संग
 ग्वाल बाल दौड़ पड़े होरी फाग गा रहे
 किसी ने चढ़ाई भाँग, कोई रचा रहा स्वाँग,
 कोई झाँझ-ढोल संग मंजीरा बजा रहे
 ठुमका लगाये कोई, रसिया सुनाये कोई,
 मटकी उतारने की जुगत लगा रहे
 गोपियों को हेर-हेर, सखियों को टेर-टेर,
 गुझिया, पपडिया खा रहे खिला रहे
 *
 
 गोप-गोपियाँ मिले तो रस-रंग छाया खूब
 ब्रजराज रंग औ' अबीर पा सिहा गया
 दस दिश भू से गगन तक पिचकारी,
 ऐसी चली पवन भी रंग से नहा गया
 जमुना कदम्ब संग वीथी घर अंगना भी
 मस्ती में झूम-झूम खुशियाँ तहा गया
 रति-रंग संग-संग नंग अनंग दंग-
 देख विधि हरि शिव संग नहा गया
 
 -संजीव सलिल
 ५ मार्च २०१२
 |  |  |  |