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होली है!!


फगुआ – ढोल बजा दे


हर कडुवाहट पर जीवन की
आज अबीर लगा दे
फगुआ – ढोल बजा दे

तेज हुआ रवि भागी ठिठुरन
शीत – उष्ण – सी ऋतु की चितवन
अकड़ गयी जो टहनी
मन की
उसको तनिक लचा दे

खोलें गाँठ लगी जो छल की
रिहा करें हम छवि निश्छल की
जलन मची अनबन की
उस पर
शीतल बैन लगा दे

साल नया है पहला दिन है
मधुवन – गंध अभी कमसिन है
सुनो, पपीहे
ऐसे में तू
कोयल के सुर गा दे

- अवनीश सिंह चौहान
२५ मार्च २०१३

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