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होली है!!


अपनी तो हो ली होली


अपनी तो हो ली होली
ससुराल की पहली होली

ससुर हमारे भाँग चढ़ा के
मंद मंद मुस्काए
लाल मिर्च सी सास हमारी
देख देख गुर्राए
दुबक के बैठे हम कोने में
लेकर सूरत भोली -

साडू भैया बोले थे
ससुराल है सुख की सार
होली खेले तब ये जाना
बात है सच्ची यार
साली सारज के संग हमने
लाज शरम सब धो ली-

मेरी सजनी मेरा फागुन
रंग उड़ाते गाल
डूब गए हम रंग में उसके
फीका पड़ा गुलाल
घुल गए हम मिश्री के जैसे
मीठी उसकी बोली

इतने फागुन बीत गए
ये पहला फागुन आया
सावन ने जब घुमड़ घुमड़ के
सात रंग बरसाया
भीगा तन मन आज हमारा
भरी प्रेम से झोली -

- नितिन जैन
२५ मार्च २०१३

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