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होली है!!


होली आई री सखी (दोहे)


होरी आई री सखी, दिनभर करे धमाल
हरा गुलाबी पीत रँग, बरसे नेह गुलाल

द्वारे पे गोरी खड़ी, पिया गए परदेश
नेह सिक्त पाती लिखी, आओ पिया स्वदेश

भेद भाव से दूर ये, होरी का त्यौहार
डूबा जोशो जश्न में, यह सारा संसार

होरी के हुडदंग में, हुरियारों की जंग
जो मिल जाए सामने, फेंको उस पर रंग

अम्मा से बाबू कहे, खेलें होरी आज
कहा तुनक कर उम्र का, कुछ तो करो लिहाज

होरी की अठखेलियाँ, पकवानों में भंग
बिना बात किलकारियाँ, भंग दिखाए रंग

-शशि पुरवार
२५ मार्च २०१३

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