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होली है!!


वासंती त्यौहार


दहे होलिका वैर की, खिले प्रेम प्रह्लाद
सदय दृष्टि प्रभु की रहे, करें युगों तक याद

प्रगटे मनु तिथि पूर्णिमा, उत्सव हुआ अपार
जगती के प्रारम्भ का, वासंती त्यौहार

कहाँ क्रूर अति पूतना, कहाँ सुकोमल श्याम
अद्भुत लीला आपकी, हर्षित गोकुल धाम

इत हाथों में लाठियाँ, उत है ढाल गुलाल
बरसाने की गोपियाँ, नन्द गाँव के ग्वाल

फागुन ने मस्ती भरी, कण-कण में उन्माद
विरहिन का जियरा करे, अब किससे फरियाद

बड़ा दही कर छोड़ कर, कांजी संग मुस्काय
शकरपार का ले गई, गुझिया हृदय चुराय

एक वेश, परिवेश सब, रंग-उमंगों डूब
गले मिलन रसिया चले, हुई धुलाई खूब

तन-मन सारे रंग गए, खूब चढ़ा ली भंग
कैसे भूलूँ भारती, मैं केसरिया रंग

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
१७ मार्च २०१४

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