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होली आज मनाएँ

सारे रंज मलाल भुलाकर
होली आज मनाएँ।

मन की थाली में रहीम ने
भावोँ का रंग घोला।
रंग लगाकर राम तोड़ता
बरसों का अनबोला।
हम भी मिलकर इस
नफरत को होली में सुलगाएँ

बच्चे थामे घूम रहे हैं
रंग भरी पिचकारी
देबर ने भाभी की देखो
सूरतिया रंग डारी
रंग पर्व में मर्यादा की
रेखा भूल न जाएँ

बना बिदूषक प्रेम रंग में
घूम रहा है छैला
भर भर मुठ्ठी रंग उड़ाती
बालकनी से लैला
टूटे हुए दिलों को जोड़ें
रंग अबीर उड़ाएँ

गली गली हुड़दंग मचाती
मस्तानों की टोली
आज कन्हैया को रंग देना
है राधा की चोली।
रंग पर्व में अधर अधर पर
रच शृंगार सजाएँ

जीवन के इस युद्ध क्षेत्र में
उखड़ी जिनकी साँसें
चलो पोंछने आँसू उनके
नम है जिनकी आँखें
सम्बल के रंग भर आँखों में
चलकर धीर बँधाएँ

- मनोज जैन मधुर
२ मार्च २०१५

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