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रंगों की तस्वीर


धरती के कनवास पर, रंगों की तस्वीर।
श्वेत-श्याम-रक्तिम-हरित, नीलम-पीत अबीर।
नीलम-पीत-अबीर, रंग में जीवन दर्शन।
अलग रखें पहचान, मिलें तो बन आकर्षण।
ऐसे ही ले रंग, खुशी है जीवन भरती।
नेह-मोह सम 'रीत', भरी रंगों से धरती।


जाते-जाते माघ ने, डाले रंग हजार।
भीगे गात अशोक के, हर्षाया कचनार।
हर्षाया कचनार, आम भी है बौराया।
फूला कहे पलाश, बसंती मौसम आया।
ये सरसों के पुष्प, गगन को छूते, भाते।
रँग डाला मधुमास, माघ ने जाते जाते।


आहट फागुन की हुई, मीठी हुई बयार।
रंगों भरी उमंग में, बहक रहा संसार।
बहक रहा संसार, पहन मस्ती का बाना।
बरसें रंग अबीर, फाग ज्यों खेले कान्हा।
पा रंगो का साथ, भरें रिश्ते गर्माहट।
लिये मधुरता 'रीत', हुई फागुन की आहट।

- परमजीतकौर 'रीत'
१५ मार्च २०१६

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