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चेहरे हुए गुलाल

रंग लगाकर
पालथी बैठ गये हर पोर
द्वारे ड्योढ़ी
गा उठे करें खिड़कियाँ शोर

बाट जोहती
हर गली चेहरे हुए गुलाल
ढोल बजाता आ गया टेसू
हीरा लाल
उचक-उचककर
वेणियाँ हाथ हिला मुसकाय
शर्माता वह नील रंग छुप-छुप
कर बतियाय

धड़कन ने ताली
बजा बाँधी जीवन डोर


गली-गली के
हाथ में पिचकारी भरपूर
भाँग चढाकर आँगना हुआ
नशे में चूर
दीवारों के
तन सजे सतरंगी परिधान
सपनों की चौपाल पर छाई
रंगी शान

नर्तन फिर
करने लगी श्वास-श्वास हर छोर

- गीता पंडित
१५ मार्च २०१६

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