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इस फागुन में

इस फागुन में होली के भी
बदल गये हैं रंग
समरसता से आज दिलों का
छूट गया है संग

रंग गुलाबी खोया खोया
पीला है निस्तेज
धवल धवलता छोड़ चुका है
स्याह सनसनीखेज
लिपे पुते चेहरों के मन में
छिड़ी हुई है जंग

घने तमस में आसानी से
कर सकते हैं घात
ये मिजाज तो, किसे सुहाये
अब पूनम की रात
अंधियारे के ठाट राजसी
देख हो गये दंग

केसरिया किंशुक पर प्रतिपल
उठते रहे सवाल
हरे रंग से सीमाओं पर
मचते रहे बवाल
‘रंग’ बदल कर चोला मन का
करते हैं हुड़दंग।

- डॉ. साधना बलवटे
१५ मार्च २०१६

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