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होली में

काव्यलोक भी धूम मचाते, देखो यारों होली में
जगह जगह महफ़िल सजवाते, देखो यारों होली में

गीत कचौरी कोई लाता, कोई दोहे की बर्फी
संग ग़ज़ल की गुझिया लाते, देखो यारों होली में

मटक मटक कर क्षणिका आती, हरीगीतिका मतवाली
मुक्तक केवल भाँग चढ़ाते, देखो यारों होली में

दोहा, रोला, चौपाई ने, शान बढाई महफ़िल की
धाक मगर नवगीत जमाते, देखो यारों होली में

कोई पढ़ते ग़ज़ल यहाँ पर, कोई प्यारे हज़ल यहाँ
कोई राग मल्हार सुनाते, देखो यारों होली में

रूपमालिका बनी जलेबी, चमचम घनाक्षरी रानी
मठरी बने सोरठे आते, देखो यारों होली में

- रमा प्रवीर शर्मा
१ मार्च २०१७

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