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फागुनी सिंगार है

होली का त्यौहार है
फागुनी सिंगार है

बासंती उत्कर्ष है उमंग और हर्ष है
फाग कोई गा रहा झाँझ का स्वर आ रहा
चमन में चमकार है

बासंती पवन संग रंग रंगीन उड़ रहे
होली की टोली में अनमने मन जुड़ रहे
रंगों की फुहार है

बिछड़े सब गले मिले चौकों चौबारों में
अहं सारा घुल गया रंगों की धारों में
छाया बस खुमार है

रंग चमक कपोल पर थाप मृदंग, ढोल पर
जो कहना होली में मन तुला पर तोल कर
कजरी की पुकार है

इँद्रधनुषी रंगों से खेल रहे सब होली
प्यार का प्रसाद लिये जाते भर भर झोली
खुशी का अंबार है

घृणा बहे बैर बहे सतरंगी रंग रहे
चैती ठुमरी के स्वर समीर लय संग बजे
मान है मनुहार है

- ओम प्रकाश नौटियाल 
१ मार्च २०१८

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