अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

 

 आ गया मौसम सुहाना

कोपलों ने शाख को फिर
चूमकर कुछ यों कहा
आ गया मौसम सुहाना
प्यार का इज़हार का

मस्तियों के फाग का
ऋतुराज स्वागत कर रहा है
थामकर कूची पवन की
रंग नित नव भर रहा है
भ्रमर फिर खिलती कली पर
रीझकर रचने लगा
छंद नव श्रृंगार का
मान का मनुहार का

आ गया मौसम सुहाना
प्यार का इज़हार का

पीत पुष्पों ने धरा के
गाल पर हल्दी चढ़ा दी
बाँह किरनों ने पसारी
सुनहरी चूनर उढ़ा दी
डालियों का मन हरा सा
झूमकर गाने लगा
गीत शुभ सत्कार का
नेह का अभिसार का

आ गया मौसम सुहाना
प्यार का इज़हार का

- निशा कोठारी
१ मार्च २०१९

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter