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   होली का अभिवादन
 

ले आया ऋतुओं
का राजा सबके लिए गुलाल

ढीला नहीं हुआ है अबतक
भाभी का अनुशासन
पिचकारी से करतीं देखो
होली का अभिवादन

किसी तरह का मन में कोई
रखतीं नहीं मलाल

ढोलक, झाँझ, मजीरों को हम
दें फिर से नवजीवन
इनके होंठों पर खुशियों का
उत्सव हो आजीवन

भूख नहीं मजबूर यहाँ हो
करने को हड़ताल

गुझियों-सा मीठा हर रिश्ता
रहे सदा अपनों में
कड़वाहट के बीज न पनपें
यहाँ कभी सपनों में

राग-रंग का अद्भुत संगम
करता रहे कमाल

- योगेंद्र प्रताप मौर्य
१ मार्च २०१९

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