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चले भी आओ

चले भी आओ कि दिल बेक़रार होली में
चली है फाल्गुनी ठंडी बयार होली में

हरेक ओर यहाँ मस्त रंग बिखरा है
उठी गुलाल की ऐसी फुहार होली में

तुम्हारे जिस्म की खुशबू सी रातरानी है
चढ़ा है मौसमे फाल्गुन ख़ुमार होली में

पिला दे जामे मुहब्बत का घूँट ऐ साक़ी
मिटा दे आज तो शिकवे हज़ार होली में

सम्भाल लो इसे चाहें इसे तो ठुकरा दो
दिया है तुमको सनम दिल उधार होली मे

ये काफ़िला सा बना कर लो ख़्वाहिशें आईं
हुए हैं ख्वाब भी दिल पर सवार होली में

हुज़ूर रंगे वफाओं से ख़ुद को महका लो
करो जफ़ा को ज़रा दरकिनार होली में

हों तल्ख़ियाँ न अदावत न नाम नफ़रत का
जला दो आज ये सारा गुबार होली में

तुम्हारी प्रीत मे रंग जाएगी मेरे कान्हा
जो कर लो ‘मंजु’ को ख़ुद मे शुमार होली में

- मंजू सक्सेना
१ मार्च २०२२
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