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पर्व होली का

बैर हो गर किसी से, मिटा लीजिये
प्यार का रंग दिल पर चढ़ा लीजिये

रंग सतरंगी अम्बर में घुल जाएगा
रंग पिचकारी में भर उड़ा लीजिये

फाग गाने लगेगी नशीली हवा
भंग मौसम में थोड़ी मिला लीजिये

बौर से हैं लदी डालियाँ हर तरफ
गीत कोयल के संग गुनगुना लीजिये

रंग ले घर की देहरी पे साजन खड़े
गाल अपने गुलाबी बचा लीजिये

प्यार के पर्व पर कोई हो न जुदा
रूठे रिश्तों को चलकर बचा लीजिये

साल भर तक खुमारी हो जिसकी रमा
पर्व होली का ऐसे मना लीजिये

- रमा प्रवीर वर्मा
१ मार्च २०२२
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