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रंगों का है प्यार

होली के प्रारब्ध में
रंगों का है प्यार

लाल गाल को छूकर भागे
हरा हँसाता आगे-आगे
पीला कहता शान से
देख इधर इक बार

काला कहता- चलो सजा दूँ
हंस चदरिया, काग बना दूँ
नीले से कोई मिले
घूमे सबका द्वार

कहीं गुलाबी नाम कमाता
रानी रंग, मृदंग बजाता
उधर गेरूआ मस्त है
जता रहा आभार

- कुमार गौरव अजीतेन्दु
१ मार्च २०२२
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