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        होली शुभ हो

होली शुभ हो फागुन आएँ
जो न गा सकें गीत गए हों रीत
वे भी चलें साथ बतियाएँ

दरक गई है प्रीत परस्पर
ढूढें मिले न मन के मीत
हारे हुये, समय के संग संग
कहाँ मिली है सबको जीत
दुख सुख साथ चले हैं हरदम
हम सबको अपनाएँ

नये सृजन हों, नव आशाएँ
नये रंग हों नव आभाएँ
नव विचार औ' नव आलोढन
हम सब में आ जाएँ
ओ भई, ऐसे फागुन आएँ
फागुन जैसे सब दिन आएँ

- कमलेश कुमार दीवान
१ मार्च २०२३
   

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