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होली है!!

 

हुलियारों की टोली


गली-गली में घूम रहीं हैं, हुलियारों की टोली।
नाच उठी चंचल नयनों में, रंगों की रंगोली।।

उड़ते हैं अम्बर में गुलाल,
नभ-धरा हो गये लाल-लाल,
गोरी का बदरंग हाल, थिरकी है हँसी-ठिठोली।
नाच उठी चंचल नयनों में, रंगों की रंगोली।।

परिवेशों में मनमानी है,
धरती की चूनर धानी है,
नदियों में निर्मल पानी है, गंगा कल-कल बोली।
नाच उठी चंचल नयनों में, रंगों की रंगोली।।

तन-मन बहका-बहका सा है,
उपवन महका-महका सा है,
नन्दनवन चहका और बोला, होली आई होली।
नाच उठी चंचल नयनों में, रंगों की रंगोली।।
डॉ.रूपचंद्र शास्त्री मयंक

डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक
१ मार्च २०१०

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