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गौरैया

कितनी सुन्दर कितनी चंचल
टिकती नहीं कहीं भी इक पल

कभी मुँडेर कभी आँगन पर
दाना चुगती फुदक -फुदक कर

फिर उड़ जाती किसी डाल पर
अपने छोटे पंख फुला कर

चोंच में भर कर दाना पानी
खुश रहती गौरैया रानी

आज़ादी का गीत सुनाती
``तज आलस`` कह सुबह उठाती

जंगल बिन हो लुप्त न जाएँ
उन्हें बचाने सब मिल आएँ


-ज्योतिर्मयी पंत

 

गौरैया

घर में आई गौरैया
झूम उठा छोटा भैया
गौरैया ने गीत सुनाया
भैया दाना लेकर आया

--त्रिलोक सिंह ठकुरेला

चिड़िया रानी

चिड़िया रानी बड़ी सयानी
ढूँढा करती दाना पानी
तिनकों से बुन लेती घर
और सजाती है सुंदर

-उर्मिला शुक्ला

 

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