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हाथ गहे कोदंड
(दोहे)

 
पुरुषोत्तम श्री राम का, अद्भुत आयुध चाप।
नाम सुमिर के भी सभी, होते जन निष्पाप।।

दर्शन दें प्रभु भक्त को, कृपा करें अब आप।
हाथ गहे कोदंड से, हर लें सबके पाप।।

अदभुत धनु प्रभु आपका, कोदंड जिसका नाम।
शर लौटे तूणीर में, पूर्ण करे जब काम।।

सीता के पग चोंच से, घायल किया जयंत।
बचने को कोदंड से, भागा दसों दिगंत।।

सागर ने श्री राम की, विनय न की स्वीकार।
निरखा कर कोदंड जब, भूला दंभ अपार।।

प्रभु लेते हैं हाथ में, तभी चाप कोदंड।
कष्ट निवारण के लिए, तोड़े दर्प घमंड।।

मर्यादा पालन सदा, करते थे प्रभु राम।
युग युग बीते आज भी, आराधित अभिराम।।

- ज्योतिर्मयी पंत
१ अक्टूबर २०२५

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