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        कोहरा और पिता

शीत रात्रि के बाद
सूर्योदय से पहले
पिता घर आते थे
द्वार खोलती थी माँ
ओस से भीगे पिता
और
गति से अंदर आता कोहरा
देख कर
सिहर जाता मैं
आज भी याद कर.

- राजेन्द्र कांडपाल

१ दिसंबर २०२१
     

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