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           कोहरा छाया

मौसम में है
कोहरा छाया
और है ऋतुओं की
छल-माया

टाँक रही भोर दूब पर
ओस की बूँदें
खड़े हुए पीपल-बरगद
आँखें मूँदें

सूर्य ने है
अवकाश मनाया

करतीं होंगीं बागों
में नर्तन बहारें
दिखते हैं निराशाओं को
दिन में तारे

हवा को-
फूलों ने महकाया

अलावों के दिन
ठंड में हर्षाने लगे
गाछ मानों मंगल गीत
अब गाने लगे

नदीश को है
किसने बनाया

- अविनाश ब्यौहार

१ दिसंबर २०२१
     

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