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           धुंध में खोएँ नहीं

धुंध में खोएँ नहीं सपने
सम्हालें जतन से

थाम के उँगली रखें
कर्तव्य की हर मोड़ पर
साथ में गर्माहटों के
पूर्ण हों सारे सफर
दृष्टि की ऊँचाइयों को
नित बचाएँ पतन से

माँग साँसों की सुनें
विश्वास का आधार दें
धड़कनों की सरगमों को
प्रियतमा सा प्यार दें
लक्ष्य तक रस्ते सजाएँ
मेहनतों के रतन से

- कुमार गौरव अजीतेन्दु
१ दिसंबर २०२१
     

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