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         माघ महीने में

 
हम दोनों के भाग्य जुड़े थे माघ महीने में
बर्फ़ में जैसे फूल खिले थे माघ महीने में

तारों की बारात में खुश्बूओं का नर्तन था
भौंरे 'बन्ना' सुना रहे थे माघ महीने में

धुंध का कोट पहनकर आया था सूरज भी तब
बादल उसके पास खड़े थे माघ महीने में

मैं सिमटी थी एक सुनहरी जोड़े में और तुम
सेहरा बाँधे सजे हुए थे माघ महीने में

घर के मंदिर में जोड़े से पूजा की हमने
माघी मेला गए नहाने माघ महीने में

बीते वक़्त से आने वाला और सुहाना हो
'रीत' यही अरमान रखे थे माघ महीने में

- परमजीत कौर 'रीत'
१ दिसंबर २०२५

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