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         आया माघ महीना

 
मौसम नें बदली है रंगत आया माघ महीना
शीत ऋतु का साथ पिटारा लाया माघ महीना

त्यौहारों की हुई विदाई, फुर्सत के पल आए
गर्म पकौड़े चाय देख हरषाया माघ महीना

नभ नें ओढ़ी गर्म रजाई घना कुहासा छाया
निकला सूरज किरणों में मुस्काया माघ महीना

हवा छेड़ती मीठी सरगम, लहर उठे तनमन में
हाड़ कँपाती ठंड देख अकुलाया माघ महीना

कब आएगी धूप सोचते घर आँगन चौबारे
आग जलाकर हाथ ताप इतराया माघ महीना

अपना रैन बसेरा ढूँढे सहमे-सहमे पक्षी
महुआ फूला बागों में मदमाया माघ महीना

तुहिन कणों में लिपटे पौधे कैसे जान बचाए
मार पड़ी जो पाले की अलसाया माघ महीना

- रमा प्रवीर वर्मा
१ दिसंबर २०२५

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