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         सुखद है माघ महीना

 
दान पुण्य का मास है, माघ पावनी जान
स्नान करें जो आपगा, पाप टले सब मान

तेजी घटती शीत की, माघ शुभंकर माह
रसवंती धरणी हुई, फूल खिले हैं राह

माघ शुक्ल की चौथ ही, चौथ विनायक जान
विधि से गणपति पूजिए, बढ़े ज्ञान सम्मान
 
माघ शुक्ल की पंचमी, फूल बिछाओ पंत
आई है माँ नीरजा, मधु ऋत सजा बसंत

झरझ़र बरसे मात के,नीरज नयना नेह
पंचम है दिन माघ का,माँ आई हैं गेह

वर दो हे वागीश्वरी, रखो शीश पर हाथ
माघ मास की पंचमी, बासंती का साथ

शुभ बसंत शुभ पंचमी, माघ मास का ताज
माँ शारद को पूजते, बनते हैं सब काज

- कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
१ दिसंबर २०२५

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