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चिल्ला
शीत की सरकार |
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जग में चिल्ला शीत की, आयी
फिर सरकार
सूर्य देव मद्धिम हुए, ताप न्यूनतम पार
सूर्य हुआ फिर लापता, लेकर सारी धूप
ठंड बचाने को सभी, पियें गरम हैं सूप
चौपालों में जल रहे, हीटर और अलाव
चर्चा में है स्वच्छता, वंदे रील चुनाव
माघ माह इतरा रहा, लिए धुंध की भोर
सूर्य कोहरे से घिरा, छाया तम चहुँ ओर
श्री हरि को प्रिय है लगे, सर्द माघ का मास
करें कृत्य धार्मिक सभी, रखते व्रत उपवास
शीत हवा सरसर चले, मारे चांटे तीर
सिकुड़ी सारी देह है, शोणित जमा शरीर
ओस बर्फ पाला गिरे, हुए सुन्न तन हाथ
ओढ़ रजाई जन पड़े, स्वेटर - टोपी साथ
चिल्ला जाड़ा पड़ रहा, मुख से निकले भाप
सूरज पर पहरा लगा, लुढ़का मौसम ताप
हिमकण लाते मुश्किलें, आफत आती द्वार
माघी पर मेले लगे, संगम भीड़ अपार
लौकिक आध्यात्मिक प्रगति, करे दान जप ध्यान
होती आत्मा शुद्ध है, हरि कीर्तन वरदान
- डॉ मंजु गुप्ता
१ दिसंबर २०२५ |
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