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उनके आने की है वेला

 

 

 
१.
उनके आने की है वेला,
मन प्रसन्न जैसे हो मेला,
इन्तजार अब सहा न जाता,
क्या सखि साजन? दुर्गा माता!

२.
उसके बिन अब कुछ नहिं भाता,
निराहार रहकर दिन जाता,
दिल में वही, न कोई दूजा,
क्या सखि साजन? दुर्गा पूजा!

३.
अब तो लगन उसी से लागी,
रात-रात भर मैं तो जागी,
चौंक पड़ी जब बोला मुर्गा,
क्या सखि साजन? नहिं सखि दुर्गा !

४.
उनकी मैं बन गई जुगनिंयाँ,
उनके लिये छोड़ दूँ दुनिया,
इंतजार के दिन थे लम्बे,
क्या सखि साजन? नहिं सखि अम्बे!

५.
रात-रात भर मैं तो जागूँ,
उससे जीवन का सुख मागूँ,
उसमें मेरा मन रम जाता,
क्या सखि साजन? दुर्गा माता!

- हरिओम श्रीवास्तव
२९ सितंबर २०१४

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