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कुंडलिया

 

 

 

दुर्गा पूजा में सजे, मंडप आलीशान।
मूर्ति प्रतिष्ठित हो रही, देवी का आह्वान।
देवी का आह्वान, शरद रितु की नवरातें।
करते व्रत उपवास, भजन कीर्तन की बातें।
दैत्यों का संहार, भक्त जन पाते ऊर्जा
मिले अभय वरदान, करें जो दुर्गा पूजा।

नव दिन का उल्लास हो, जन मन में भरपूर।
अच्छाई की जीत हो, औ घमंड हो चूर।
औ घमंड हो चूर, राम का चरित सिखाये।
नाट्यरूप में खेल, राम लीला दिखलाये।
झाँकी लक्ष्मण राम, दृश्य दशशीश दहन का
विजया दशमी पर्व, पूर्ण होता नव दिन का।

खुशियाँ लेकर आ रही, अब जगदम्बा मात।
सारा जग उल्लसित है, धूम मचे नवरात।
धूम मचे नवरात, करें सब गरबा पूजा।
करती जो जग सृष्टि, मात सम और न दूजा।
सजे सभी नर नार, झूमते रास मस्तियाँ
अनुपम है यह पर्व, लिए आता है खुशियाँ।

- ज्योतिरमयी पंत
२९ सितंबर २०१४

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