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ममता का है सागर

 

 

 

ममता का है सागर
माता का आँचल
ज्यों छलक रही गागर

घर के दुख माँ हरती
सबकी शांत क्षुधा
भूखी रहकर करती

जाने अपना बच्चा
अवगुण पहचाने
फिर भी लगता सच्चा

करती उपकार नदी
माँ की है महिमा
गाती हर एक सदी .

गम को रखती अंदर
बाहर से हँसती
हर पल दिखती सुंदर

- मंजु गुप्ता
२९ सितंबर २०१४

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