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अम्मा रहती गाँव में

 

 

 
छुटका रहता है विदेश में
मँझला बहू के पाँव में
बड़का रहता रजधानी में
अम्मा रहती गाँव में!

छुटका अगले
साल आयेगा
होली, नहीं दिवाली
देख नहीं
पाई अम्मा
अब तक उसकी घरवाली
गाय के
नन्हें बछड़े को
अम्मा दुलराती छाँव में!

मँझला कहता
खेती में
कुछ होता
नहीं है अम्मा
उस पर तेरे
खाने कपड़े का
मुझ पर ही जिम्मा
छुपा छुपा कर
रखें पिटरिया
मँझला रहता दाँव में!

पिछले बरस
गयीं थीं अम्मा
बड़के के बेटा होने पर
राम राम कर
बीते दिन वे
मंगल क्या दंगल था घर पर
आई थी चुपचाप लौटकर
अम्मा वापस गाँव में।

- डॉ. प्रदीप शुक्ल
२९ सितंबर २०१४

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