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जय दुर्गे महारानी की

 

 

 

आद्यशक्ति भवानी की, जय दुर्गे महारानी की।
जय बोलो रुद्राणी की, जय शिव की पटरानी की।

सिंहवाहिनी, खड्गधारिणी, जलधितारिणी दुर्गे माँ।
शंख चक्र औ' गदा बिराजे कष्ट हारिणी दुर्गे माँ।
मंदहासिनी, पापनाशिनी, उमा रमा ब्रह्माणी की।
आद्याशक्ति भवानी की, जय दुर्गे महारानी की।

कर में शूल कटार सुशोभित खप्परधारिणि दुर्गे माँ।
शुंभ,निशुंभ घातिनी, महिषासुर संहारिणि दुर्गे माँ।
पुण्य निर्मला चपल चंचला रणमें निरत मृडानी की।
आद्या शक्ति भवानी की, जय दुर्गे महारानी की।

जगत कारिणी, जगतधारिणी, जगसंहारिणी, दुर्गे माँ।
तिमिरनाशिनी, शुभप्रकाशिनी, मोक्षदायिनी दुर्गे माँ।
भक्तवत्सला, कांतिउज्जवला, जयजनमनकल्याणी की।
आद्याशक्ति भवानी की, जय दुर्गे महारानी की।

- डा. राम वल्लभ आचार्य
१५ अक्तूबर २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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