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ममतामयी
विश्वजाल पर माँ को समर्पित कविताओं का संकलन

 

कैसी है अब माँ

किसको चिन्ता किस हालत में
कैसी है अब माँ

सूनी आँखों में पलती हैं
धुंधली आशाएँ
हावी होती गईं फ़र्ज पर
नित्य व्यस्तताएँ
जैसे खालीपन काग़़ज का
वैसी है अब माँ

नाप-नापकर अंगुल-अंगुल
जिनको बड़ा किया
डूब गए वे सुविधाओं में
सब कुछ छोड़ दिया
ओढ़े-पहने बस सन्नाटा
ऐसी है अब माँ

फ़र्ज निभाती रही उम्र-भर
बस पीड़ा भोगी
हाथ-पैर जब शिथिल हुए तो
हुई अनुपयोगी
धूल चढ़ी सरकारी फाइल
जैसी है अब माँ

-योगेन्द्र वर्मा व्योम


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