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कान्हा तेरे जन्म पर
     

 





 

 


 




 


कान्हा तेरे जन्म पर, क्या मैं दूँ इस बार
नकली माखन से भरा, है सारा बाज़ार

पनघट सूने हो गए, सूने यमुना तीर
सूरदास अब कोसते हैं अपनी तकदीर

चीरहरण की खबर जब, देतें हैं अखबार
तो लगता है हो गए, हम कितने बीमार

कौरव ही कौरव नज़र, आते चारों ओर
इंतज़ार तुम कर रहे, किसका नंदकिशोर

तुम रहते थे तब तलक, थी गैया अरु गाँव
जगह जगह अब शहर ने, जमा लिये हैं पाँव

शिशुपालों ने कर लिए, लाखों अब तक पाप
फिर क्यों वध करते नहीं, आकर उनका आप

दुखियों की इतनी अधिक, सुनकर चीख पुकार
माधव क्यों लेते नहीं, फिर से तुम अवतार

गीता का जो दे रहे, हैं हमको उपदेश
धरे हुए वे ही मिले, दुःशासन का वेश

वनज कुमार
२६ अगस्त २०१३

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